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हमारी यात्रा 2013 में शुरू हुई थी

धर्मेंद्र सिंह

बीकेयू के संस्थापक

हमारे बारे में

भारतीय किसान यूनियन धर्मेन्द्र

भारतीय किसान यूनियन (धर्मेन्द्र) संगठन की स्थापना धर्मेन्द्र सिंह ने किसानों, मजदूरों और असहाय वर्ग के अधिकारों की रक्षा और उनके कल्याण के लिए की। यह संगठन उन किसानों और श्रमिकों की आवाज बनकर उभरा है, जो अपने अधिकारों के लिए संघर्ष कर रहे हैं और शोषण का शिकार हो रहे हैं। संगठन का उद्देश्य समाज के कमजोर वर्गों को सशक्त बनाना और उन्हें उनके हक दिलाने के लिए संघर्ष करना है।

In 1988 Shri Dharmendra Singh organised a campaign in Village Salauli, Post Kasimpur Sultanpur Road District, Lucknow, Uttar Pradesh demanding the waiving of electricity bills for farmers and became a significant figure. He founded there Bhartiya Kisan Union.

In 1988 Shri Dharmendra Singh organized Bhartiya Kisan Union Rally was at Delhi’s Boat Club lawns with nearly five lakh farmers from western Uttar Pradesh in the entire stretch from Vijay Chowk to India Gate for over a week and compelled the Rajiv Gandhi government to accept his 35-point charter of demands including raising of prices for sugarcane and the waiving of electricity bills for farmers.

In July 1990, Shri Dharmendra Singh organized Bhartiya Kisan Union Rally in Lucknow with over two lakh farmers, with demand for higher sugarcane prices and heavy rebates in electricity dues to Janata Dal Government of Uttar Pradesh and succeeded.

In 1992, Shri Dharmendra Singh dharna in Lucknow with his demand for writing off farmers’ loans up to Rs 10,000 and arranged a Dharna in Ghaziabad, demanding higher compensation towards the acquired land of farmers.

उद्देश्य:

संगठन का मुख्य उद्देश्य किसानों, मजदूरों और असहाय वर्ग के हितों की रक्षा करना और उन्हें उनके अधिकार दिलाने के लिए सरकार और संबंधित अधिकारियों के समक्ष उनकी समस्याओं को उठाना है। इसके कुछ प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित हैं:

  1. किसानों के अधिकारों की सुरक्षा: किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य दिलाना, कृषि सुधारों की मांग करना, और कृषि उत्पादों की खरीद में पारदर्शिता सुनिश्चित करना।
  2.  मजदूरों के अधिकारों का संरक्षण: मजदूर वर्ग के लोगों को उनके श्रम का उचित मुआवजा दिलाने और उनके काम करने की स्थितियों में सुधार के लिए लड़ाई लड़ना।
  3. किसानों को कर्ज से मुक्ति दिलाना: किसानों पर बढ़ते कर्ज के बोझ को कम करने और उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए कर्ज माफी और अन्य वित्तीय राहतों के लिए आंदोलन करना।
  4. शोषण के खिलाफ आवाज उठाना: उन किसानों और मजदूरों के लिए खड़ा होना, जो सामाजिक और आर्थिक शोषण का शिकार हैं, और उनके लिए न्याय की मांग करना।
  5. सरकारी नीतियों में सुधार: सरकार पर दबाव डालकर किसानों और मजदूरों के हित में नीतिगत सुधार करवाना, जिससे उनकी समस्याओं का स्थायी समाधान हो सके।
  6. कृषि विकास और नवाचार: आधुनिक कृषि तकनीकों का प्रचार-प्रसार करना, और किसानों को अधिक उपजाऊ और टिकाऊ खेती के तरीकों से अवगत कराना।
  7. असहाय और गरीबों की मदद: समाज के असहाय और गरीब तबके के लोगों की आर्थिक और सामाजिक समस्याओं का समाधान निकालने के लिए निरंतर प्रयास करना।

भारतीय किसान यूनियन (धर्मेन्द्र) का उद्देश्य समाज के कमजोर वर्गों को सशक्त बनाना और उनकी लड़ाई को मजबूत करना है, ताकि वे अपने अधिकारों के लिए संघर्ष कर सकें और अपने जीवन में सुधार ला सकें।

Shri Dharmendra Singh was a well known farmer leader in the western area of Uttar Pradesh state, India. He was born in 7 October 1974 at Village Salauli, Post Kasimpur Sultanpur Road District, Lucknow, Uttar Pradesh. He was Founder President of the Bharatiya Kisan Union, a farmers’ movement, and was revered as the farmers’ “second messiah” after the Prime Minister Chaudhary Charan Singh. 

The hereditary title of Tikait was apparently conferred on his family by the seventh-century emperor Harshavardhan. As per the hereditary eldest son of the family become the chaudhary of Baliyan Khap. Accordingly after demise of his father Shri Mahendra Singh Tikait had become the chaudhary of Baliyan Khap, at the age of eight.

Tikait had a firm belief in his thousands years old regional and caste’s traditions and culture. He opposed the Supreme Court decision that marriages between people from the same gotra were valid. “We live by a moral code where honour has to be protected at any cost. Same gotra marriages are incestuous, No society would accept it. Why do you expect us to do so? Incest violates maryada (honour) and villagers would kill or be killed to protect their maryada,” he had said in a TV interview.

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